विक्रम विक्रम विक्रम विक्रम
बेताल बेताल बेताल बेताल
शीर्षक गीत के समाप्त होते ही विक्रम (उर्फ विक्रमादित्य उर्फ विक्की) अपनी तलवार लहराते हुवे, बेताल को कन्धे पर डाल शमशान की ओर चल दिया। काली घनघोर रात थी, हाथ को हाथ सुझाई नही देता था। दिसबर की रात की तरह ठंड पड रही थी। ठंड के मारे विक्की के मुंह से एक शब्द बाहर नही आ रहा था। बेताल विक्की की पिठ पर लदे लदे बोर हो गया। बेताल ने बोलना शुरू किया
"विकी क्या तु पागल हो गया है ? सारी दुनिया जहां इस रात मे अपने अपने घरो मे र…
अभी हाल ही मे मैं एंजलिना जोली अभिनीत 'सरहदो से बाहर्'(Beyond Border) चित्रपट देख रहा था, इस बार भी मै इसे पुरा नही देख पाया. ऐसा नही कि मेरे पास समय नही था या कोइ जरूरी काम आ गया. मै हिम्मत नही कर पाता, इसे पुरा देख पाने की. ये चित्रपट मैने इसके पहले भी देखा है. जब पहली बार मैने इस चित्रपट को देखा, तब ही इस चित्रपट ने मुझे अंदर से हिला दिया था. आज भी जब ये चित्रपट प्रसारीत होता है, सोचता हुं कि इस बार इसे पूरा देखुंगा लेकिन बिच मे ही मुझे चैनल बदलना पडता है. इस की …
और पढ़ेंये क्या हो रहा है बी बी सी को ? ये शायद नही जानते कि भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्री मुरली मनोहर जोशी नही अर्जुन सिंह हैं.
जब बी बी सी ऐसी गलती करेगा तो बाकी का तो भगवान मालिक है.
१.मनुष्य के लिये निराशा के समान दुसरा पाप नही है,मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समुल हटाकर आशावादी बनना चाहिये ।- हितोपदेश
२.जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जीकर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित के सवालो की भांति उसे हल नही किया जा सकता. वह सवाल नही- एक चुनौती है, एक अभियान है। -ओशो
३.शोक मनाने के लिए नैतिक साहस चाहिये और आनंद मनाने के लिये धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनो मे जमीन आसमान का अंतर है। पहला गर्व…
हमारे एक क़रीबी दोस्त है, जिन्हे हर खबर को सनसनीखेज तरीके से पेश करने मे आनंद आता है। अभी कल ही उनसे बात हो रही थी, बातो का रूख पुरानी यादों की तरफ मुड़ गया। कालेज की सुनहरी यादे ताजा की गयी,पुराने गडे मुर्दे उखाडे गये। इसी दौरान ये किस्सा याद आया, हमने सोचा एक चटपटा किस्सा है, जिस पर हम एक चिठ्ठा लिख सकते है। बस हमने यह बात अपने दोस्त से कही, वो पुरे हत्थे से उखड गये और हमे धमकी दी कि अगर हमने वो किस्सा अपने चिठ्ठे मे लिखा तो हमे भारत मे एक अवांछीत व्यक्ति घोषित कर दिया जा…
और पढ़ेंABC TV के प्रमुख पत्रकार और उदघोषक पिटर जेनिगंस की फेफडो के कर्क रोग से मृत्यु हो गयी. ABC के अलावा सभी चैनलो(CNN/NBC/BBC...) ने इस खबर को प्रमुखता दी.
मै सोच रहा था कि हमारे देश मे एक पत्रकार या किसी लेखक की मौत की खबर पता नही किस कोने मे चली जाती है ! आश्चर्य़ तो इस बात पर होता है कि हमारे प्रसार माध्यम जिसके बलबुते से चलते है वही उन पत्रकारो लेखको को भुल जाते है. हां यदि प्रकाशक या मालिक की मौत हो तो वह जरूर सुर्खियो मे रहती है.
मेरे पिछले चिठ्ठे "क्या ऐसा कोई काम है जो आप नही कर सकते ?" के जवाब मे "इ-स्वामीजी" ने लिखा
अमरीकी समाज ने जो हासिल किया है वे उसका मूल्य समझते हैं और अपनी सत्ता,संपन्नता को किसी भी कीमत पर खोना नही चाहते. हाँ उनके पास खोने के लिए बहुत कुछ है , खोने का भय ही उन्हे आगे बढाता रहता है. मेरे दृष्टीकोण मे इसीलिए यह एक बौद्धिकतावादी प्रपंचवादी समाज है,प्रपंच एक अच्छे मतलब मे नकारात्मक मतलब मे नही! साम-दाम-दण्ड-भेद से पाया और बचाया है. भय का उत्तर है संकट खडा कर…
आज मैं "The Core" हॉलीवुड का एक चलचित्र देख रहा था. उसमे एक सवांद है जो मुझे काफी अच्छा लगा. नौकरी के लिए साक्षात्कार के लिये ये संवाद उपयोगी हो सकता है.
नायक : "Is there anything that you can not do ?" (क्या ऐसा कोई काम है जो आप नही कर सकते ?)
नायिका :"Not I am aware of !"(ऐसा कोई काम मेरी जानकारी मे तो नही है)
ये चलचित्र देखते समय मन अचानक भटक गया और अचानक सोचने की दिशा कहीं और मुड़ गयी. कहानी कुछ इस तरह है, किसी प्रयोग के कारण पृथ्वी के कोर …
आज प्रेमचन्द जी की जयंती है. मैने कुछ दिनो पहले गुगल पर प्रेमचन्द पर खोज की थी, परिणाम मे मुझे सिर्फ २ पृष्ठ मिले थे. आज जब खोज की तो पूरे ४ पृष्ठ मिले. हिन्दी चिठ्ठाकारो ने तो उन्हे याद किया ही, साथ मे बी बी सी ने एक विशेष पृष्ठ ही उन्हे समर्पित कर दिया.
मैने प्रेमचन्द को कबसे पढ्ना शुरू किया ठीक से याद नही, लेकिन जब से भी शुरू किया उनकी हर रचना ने मेरे दिल को छुवा. मैने उनमे एक ऐसा लेखक मह्सुस किया था जिसने जिन्दगी के हर पहलु को चित्रीत किया था. चाहे वो उफनता प्यार मोहब्ब्त…
जब मैने अपना पिछला चिठ्ठा लिखा था "एक कुंवारे की व्यथा" ,मुझे याद आ रहा था कि मैने पहले कभी शादी करने की वजहो की एक सुची कहीं पढी है. लेकीन कहाँ और लेखक का नाम याद नही आ रहा था. मै सोच रहा था हो ना हो इस सुची के जनक शरद जोशी जी या परसाई जी होंगे. यदी ये महानुभाव इस सुची के लेखक नही है, तो रवीन्द्रनाथ त्यागी जी होंगे.
मैने सोचा चलो कुछ सोध की जाए. घर (भारत फोन किया), छोटे भाई को अपनी आलमारी खोल कर सभी पुस्तको के सारणी पढने का आदेश दिया. वैसे मेरी उस आलमारी को हमारे क…
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