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ये क्या हो रहा है ?


खबर है अमिताभ बच्चन बिमार हो गये । माना अमिताभ जी एक उतकृष्ट अभिनेता है, उन्होने हिन्दी फिल्म उद्योग को काफी कुछ दिया है। मै उनके स्वस्थ होने और लम्बी उमर की कामना करता हुं।

लेकिन हमारे मिडीया को क्या हो गया है ? हाथ धो कर पिछे पड गया। सीधा प्रसारण शुरू कर दिया, हर मिनिट की जानकारी देना शुरू कर दी। एक बीमार इंसान को यदि घेर लिया जाये तो वह स्वस्थ होने की बजाय और घबरा जायेगा। मरीज तो परेशान ही, मरीज के घरवाले भी परेशान, बाकी मरीज और उनके घरवाले भी परेशान।

समाचार पत्र, टी वी, इंद्रजाल जहा देखो वहा एक ही खबर।

उपर से तुर्रा ये कि अमितजी की बिमारी “आंतो मे सुजन” है, जो एक सामान्य बिमारी है। एक डाक्टर के अनुसार उसके पास आने वाले २०% मरीज इसी बिमारी के होते है। “मीड डे” वाले तो और भी आगे पहुंच गये, अमिताभ जी ने क्या खाया था ये भी पता कर लिया।

कोफ्त तो उस समय होती है जब मिडिया के सामने अभीषेक बच्चन हाथ जोडकर जाने कह रहे है “हट जाओ यहां से” और मिडीया वह फोटो छाप दे रहा है !
बाकी मरीजो के रिश्तेदारो को मजबूरन कहना पड रहा है “इन लोगो के लिये अलग अस्पताल होना चाहिये।

क्या भारतीय मिडीया के पास और कोई खबर नही है या मानसीक रूप से दिवालिया हो गया है ?

वैसे ये हफ्ता मिडिया के लिये काफी अच्छा रहा , काफ़ी मसाला मिल गया। उमा भारती और राज ठाकरे ने कोई कसर नही छोडी।

वैसे इन दोनो खबरो से कोई आश्चर्य तो नही हुवा। अपेक्षीत ही था। उमा भारती का दिमाग सांतवे आसमान पर पहुंच गया था, अब जमीन पर आ गया होगा। परिवारवाद को पानी पी पी कर कोसने वाल बाल ठाकरे ने परिवार को बढाया तो पहले राणे और बाद मे भतिजा ही विरोध मे आ गया।

देखते है आगे क्या होता है।

1 टिप्पणी 
1. eswami उवाच :
दिसम्बर 1, 2005 at 12:17 am ·
बिल्कुल यही विचार मुझे भी आए थे - क्या भारत क्या अमरीका और क्या यूके सब जगह न्यूज़ अब इन्फोटेनमेंट हो गई है। और चाहे जो परोस रहे है मीडिया वाले।

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