हमारा देश हमेशा प्रगति के मार्ग पर रहता है, इसका मूल कारण यह है कि मार्ग पर हमेशा कार्य चलते रहता है। मार्ग पर कार्य रूकने का मतलब होता है प्रगति का मार्ग अवरुद्ध हो गया है। हर तरफ पहले गहरे गड्डे खोदना, उसमे से अलग अलग तरह के पाईप निकाल कर रख देना। कितने ही तरह की पाईप-लाईन होती है पीने के पानी की, गटर लाईन(ये दोनो पास पास ही होती है, आवश्यकता होने पर एक दूसरे की मदद करती है),टेलीफ़ोन की, बिजली की, गैस की,टाटा की, रिलायंस की… वगैरह वगैरह। इन सभी पाईपलाईने किसी हसीना की चोट…
और पढ़ेंचेन्नई मे कार्य करते हुये एक वर्ष बीत चुका था । एक ही कार्य की नीरसता से मन उब गया था । किसी परिवर्तन की आवश्यकता महसुस हो रही थी । ऐसे मे प्रदीप ने एक शाम खाने के समय कहा चलो कन्याकुमारी चलते हैं । अंधा क्या चाहे , दो आँखें । बिना सोचे विचारे कह दिया, चलो चलते है । अगले दिन आँफिस आ कर सहकर्मीयों से बात की। तब एक और महाशय श्रीनिवास भी तैयार हो गये । आनन फानन कार्यक्रम बना । चल दिये हम तीनों सुदूर भारत के दक्षिण मे ‘’कन्याकुमारी'’ ।
हमारा ‘’चेन्नई कन्याकुमारी'’ एक्सप…
“रांग नंबर” यह फोन पर वार्ता का सबसे मह्त्वपूर्ण शब्द है। ऐसे तो हमारे फोन इतिहास मे ना जाने कितने रांग नंबर आते है ,लेकिन कुछ रांग नम्बर हमेशा याद रह जाते है…
ऐसा ही एक रांग नम्बर मुझे आया था।
एक घनघोर अंधेरी रात, बारिश हो रही थी और बिजली जा चुकी थी। बिजली जाने पर हमेशा की तरह मै मोमबत्ती ढूंढ रहा था।वैसे भी मुझे मोमबत्ती हमेशा बिजली आ जाने के बाद ही मिलती है। मै मोमबत्ती शोध मुहिम मे व्यस्त था कि मेरा फोन बजा। फोन उठाने पर एक कर्णप्रिय मधुर आवाज आयी
“हैलो, बिजली आफिस ”
“…
बहुत पुरानी बात है, जब हम प्राथमिक स्कूल के छात्र थे। हमारा एक सहपाठी था मुन्नाभाई!
मुन्नाभाई हमारी कक्षा का नेता था, मतलब कि कक्षा कप्तान था। स्कूल के उसके दैनिक कार्यो मे होता था, सुबह सबसे पहले पहुंच कर दरीयों पर कब्जा करना। जी हां आपने सही पढा दरीयों पर कब्जा करना। हमारे स्कूल मे डेस्क बेंच नाम की वस्तुएँ नही हुआ करती थी। १०-१२ फुट लंबी और एक फुट चौडी दरीयां, दरीयां छात्रों की संख्या के हिसाब से उसी तरह कम हुआ करती थी, जिस तरह आई आई टी और आई आई एम की सीटें कम होती है। म…
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