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जुग (युग) सहस्त्र जोजन (योजन) पर भानु. लील्यो ताहि मधुर फल जानू..

श्रीवास्तव जी, इनबॉक्स में प्रकट हुए , कहने लगे कि तुम कायस्थ हो, पढ़े लिखे हो, अपने धर्म और पूर्वजो के ज्ञान का मजाक उड़ाते हो। चित्रगुप्त वंशजो को शोभा नही देता। पश्चिम में जो भी खोज हो रही है हमारे ग्रंथो में पहले से मौजूद है।

हम उनके आशय को समझ गए और उनका शिकार उन्ही के हथियार से करने की सोची।

हम बोले: आप भी कायस्थ है, घर मे किताबे तो होंगी ही।

वे : बहुत सी है..

हम : वेद तो आपने पढ़े ही होंगे..

वे: ....

हम : अच्छा वेदों का भाष्य, अनुवाद पढ़ा ही होगा।

वे: ....

हम : छोड़िए वेदों को, उपनिषद, पुराण तो अवश्य ही पढ़े होंगे।

वे : ....

हम: अच्छा रामायण, महाभारत

वे: हम महाभारत घर मे नही रखते, रामायण घर पर है।

हम: संस्कृत में या हिंदी अनुवाद ?

वे: तुलसी दास वाली।

हम: महाराज वो रामचरित मानस है। चलो जाने दो उसमे विज्ञान बता दो।

वे: तुलसीदास ने सूर्य की दूरी बताई है।

हम : महाराज व्हाट्सएप ज्ञान मत पेलो। सबसे पहले वह तथाकथित विज्ञान मानस में नही हनुमान चालीसा में है।

हमने पूछा : आप इसकी बात कह रहे है ना
जुग (युग) सहस्त्र जोजन (योजन) पर भानु. लील्यो ताहि मधुर फल जानू..

वे : जी हां ऐसा ही कुछ है..

हम : अच्छा यह बताइये कि व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी वाले इसमे

एक युग = 12000 वर्ष
एक सहस्त्र = 1000
एक योजन = 8 मील बताते है।
एक योजन याने 8 मील कैसे तय हुआ ?

युग समय की इकाई है, मील दूरी की इकाई, तो किस वैज्ञानिक हिसाब से इन दोनों को गुणा किया गया ?

वे : ...

हम : मालिक आपने भी इंजीनियरिंग की है। रिवर्स इंजीनियरिंग भी जानते होंगे ?

वे : मतलब ?

हम : प्रयोगों मे निरीक्षण से परिणाम की बजाय उल्टे परिणाम से निरीक्षण लिखने की कला। ये बताओ कि कालेज प्रयोगों में g का मान हमेशा 9.8 m/s2 या कांच का रेफ्रेक्टीव इंडेक्स 1.5 कैसे लाते थे?

वे अंतर्ध्यान हो गए, अब शायद ब्लॉक ही कर देंगे ...

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