बचपन की जितनी धुँधली याद है, मेरे जीवन की सबसे पहली पुस्तक चंदामामा या नंदन ही रही होगी। इसमे से चंदामामा पौराणीक कहानीयों के लिये जानी जाती है, इसकी खासीयत इसके रंगबिरंगे खूबसूरत चित्र होते थे। विक्रम बेताल का परिचय चंदामामा से ही हुआ। चंदामामा ने ही भारत ही नही विश्व की पौराणीक गाथाओं से भी परिचय कराया, जिसमे तमिळ काव्य शिलप्पादिकारम (जिसकी नायिका कण्णगी है), इलियड और ओडीसी भी शामिल है।
इसके दूसरी ओर नंदन थी, परीकथा और जादुई दुनिया वाली बाल पत्रिका। विश्व बाल साहित्य से …
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