इंटरनेट पर दावा किया जाता है कि ऋग्वेद मे प्रकाश गति दी गई है। इस तरह की अफवाहों को बढ़ावा एच सी वर्मा की किताब "Concepts of Physics" से भी मिलता है।
ऋग्वेद मे एक सूक्त है : ‘तरणिर्विश्वदर्शतो ज्योतिष्कृदसि सूर्य । विश्वमा भासि रोचनम् ।।’ ।।ऋृग्वेद 1.50.4।।अर्थात् हे सूर्य ! तुम तीव्रगामी एवं सर्वसुन्दर तथा प्रकाश के दाता और जगत् को प्रकाशित करने वाले हो ।इस सूक्त पर भाष्य करते हुए महर्षि सायण ने लिखा है -‘तथा च स्मर्यते योजनानां सहस्त्रं द्वे द्वे शते-द्वे च य…
मेरे प्राथमिक स्कूल का नाम : हिन्दी पूर्व माध्यमिक शाला झालिया महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के चुनिंदा सरकारी हिन्दी माध्यम के स्कूलों मे से एक। अधिकतर स्कूल मराठी माध्यम के हुआ करते थे। यह स्कूल कक्षा 1 से कक्षा 7 तक का(पूर्व माध्यमिक) था। जब तक हम कक्षा पाँच पहुंचे , हर कक्षा मे दो सेक्शन हो गए थे। लेकिन कुल कमरे पाँच ही थे, दो छप्पर मिलाकर भी 7 ही होते थे, कक्षाएं दोगुनी! इसलिए पाठशाला दो पारीयों मे लगने लगी थी। कक्षा 1 से 4 सुबह की पारी में सुबह साढ़े सात से ग्यारह तक, क…
और पढ़ें2004 : दिल्ली से चेन्नई पहुंचे। दिल्ली में थे तो सुबह नाश्ते में अधिकतर पराँठे या सैंडविच ही खाते थे। चेन्नई में नाश्ते में इतनी
विविधता थी कि दिल खुश हो गया था। इडली, दोसा, वड़ा, पोंगल, पूरी, उत्तपम ..... हर दिन नया नाश्ता या दो तीन व्यंजन एक साथ भोग लगाते थे। दोपहर और शाम का भोजन भी शुरू शुर में मस्त लगा। चावल, सांभर, रसम, सब्जी और कर्ड-राइस। कभी वेराइटी राइस, जिसमे पुलिहोरा, लेमन राइस, कोकोनट राइस, कारा राइस खाते थे। चावल में ही दर्जनों स्वाद मिलते थे। लेकिन कुछ दिनों बाद स…
ठंडा मतलब कोकाकोला लहर पेप्सी आहा! यह सब तो बहुत बाद मे सुना! हम तो उस पीढ़ी से है जिसने गोल्ड स्पॉट द जिंग थिंग !थम्स अप टेस्ट द थंडर !सुनते हुए जवानी मे कदम रखे थे! वैसे जिस गाँव मे पले बढ़े वहाँ ये सब नहीं मिलता था, वहां अनजाने से लोकल ब्रांड मिलते थे, जो रंगीन सोडावाटर होते थे, कीमत थी 1 रूपये, डेढ़ रूपये। गाँव मे ये चाय की टपरी मे ठंडे पानी के मटके मे रखी होती थी। गाँव मे उस समय फ्रिज किसी के पास था नहीं, बिजली कुछ ही घरों मे थी। लिमका,गोल्ड स्पॉट, थम्स अप जैसे ब्रांड शाय…
और पढ़ें1990 के आसपास पत्रिकाओं अखबारों में एक विज्ञापन पढ़ते थे। राजस्थान की किसी जगह का था, कोटा था या कोई और याद नही।उस विज्ञापन में मस्तिष्क की शक्ति, पढ़ने की गति बढाने की कोई पुस्तक बेची जाती थी। पुस्तक हिंदी में थी लेकिन पुस्तक के टाइटल में "माइंड" या "ब्रेन" शब्द था। विज्ञापन का लब्बोलुबाब था कि मानव अपने मस्तिष्क का केवल 20% प्रयोग करता है। आइंस्टाइन जैसे लोग भी 25% प्रयोग कर पाते है। प्राचीन कॉल में ऋषि लोग कुंडलिनी जागरण से इसे 80% तक पहुंच देते थे। पुस्…
और पढ़ेंआज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस है।
विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में हर साल 28 फ़रवरी को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। 28 फ़रवरी सन् 1928 को सर सीवी रमन ने अपनी खोज की घोषणा की थी। इसी खोज के लिये उन्हे 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था।
कुछ बरस पहले अनमोल ने एक लिंक दी थी "The Great Debate - The S…
हाल ही मे एक शादी मे गया था, तीन दिन की घुमक्कड़ी मे कुल मिलाकर छह कप चाय पी गई। खुद पर आश्चर्य हुआ कि एक समय ऐसा था कि ठंड के दिनो मे शादी/ब्याह या घुमक्कड़ी के समय एक दिन मे ही दर्जनो कप चाय पी जाते थे।
बचपन मे 10 वी तक एक दिन मे दो कप चाय मिलती थी, एक सुबह और एक दोपहर मे, वह भी यदि चाय के समय पर घर पर हो तो। यदि किसी दोस्त के घर गये तो कभी कभी तीसरा कप भी हो जाता था। बाद मे जब 11 वी/12 वी मे साईकिल से 8-10 किमी आमगांव जाना होता था, तो दोपहर मे मित्रों के साथ एक दो कप और हो …
विनीत बाजपेयी का नव मत्स्य पुराण तीन किताबों की शक्ल में पढ़ा।
किताब लिखने के लिए सामग्री थोड़ा डैन ब्राउन को पढ़िए, नाइट टेम्पलर, न्यू वर्ल्ड आर्डर, इल्युमिनाटी, फ्री मेसान्स वगैरह से जुड़ी कांस्पिरेसी निकालिये।अब आचार्य चतुरसेन शास्त्री की ओर रुख कीजिए, उनकी शैली, कल्पनाशीलता को समझिये।पी एन ओक महाराज के तथाकथित इतिहास का अध्ययन करें।अब अमिश त्रिपाठी की ओर मुड़े। उनके द्वारा छोड़े गए विषयो को देखे, वो नव शिव पुराण रच चुके है, नव रामायण लिख रहे है। कुछ और देखिए। कुछ और सस्ते डैन ब…
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