आजकल लगभग रोज हाथी से ऑफिस आ रहे है। बचपन में कभी सोचा नहीं था कि कभी एक क्रूजर जैसी बाइक चलाएंगे, सोचना तो दूर जानते ही नहीं थे कि बाइक के भी प्रकार होते है। होशवाला बचपन 80 के दशक और 90 के दशक के शुरुवात का है, उस समय बाइक मतलब राजदूत और बुलेट! कभी कभार भूले भटके येजदी और जावा दिख जाती थी। हीरो होंडा, टीवीएस सुजुकी और कावासाकी बजाज का ज़माना आया नहीं था। बाइक से सबसे पहला वास्ता 12 की परीक्षाओ में पड़ा था। उस समय हम स्कूल साइकिल से जिला परिषद ज्युनियर कॉलेज आमगांव जाते थ…
और पढ़ेंभारतीय भाषाओं में कम्प्यूटिंग पर मेरी रुचि कालेज के दिनो से थी। यूनिकोड से पहले यह सब फॉन्ट का खेल होता था, डेटा (text) अंग्रेजी में होता था , उसे फ़ॉन्ट्स के जरिए हिंदी में दिखाते थे। सारे हिंदी और अन्य भारतीय भाषा के अखबार यही करते थे। DTP कार्य, पुस्तके, कार्ड्स, मुद्रण यही तरीके अपनाते थे। इंटरनेट पर आपको भारतीय भाषा में पढ़ना हो तो उस वेबसाइट वाला फॉन्ट डाउनलोड करो और पढ़ो। लेकिन भारतीय भाषाओं में आम लोगो के लिए लिखना आसान नहीं था।फिर आया यूनिकोड का जमाना। लेकिन यह लोकप…
और पढ़ेंजेम्स हिल्टन का उपन्यास लॉस्ट होराइजन समाप्त किया।
इस पुस्तक को जो चीज पठनीय बनाती है वह है कहानी की कसावट और प्रवाह। साथ में कहानी के अंत को खुला छोड़ दिया है, आप स्वयं सोचे कि नायक के साथ क्या हुआ होगा। कहानी को अनावश्यक विस्तार नही दिया है।कथा द्वितीय विश्वयुद्ध के तुरंत बाद के समय में है लेकिन इसका कोई असर नही है।थियोसोफिकल सोसाइटी की विचारधारा, गाथाओं को पढ़ चुका था। सांगरीला की कहानी भी कई जगह पढ़ी थी, डैन ब्राउन भी लिख चुके है।कथानक आश्चर्य जनक नही लगा।इस कहानी के कथा…
इंटरनेट पर दावा किया जाता है कि ऋग्वेद मे प्रकाश गति दी गई है। इस तरह की अफवाहों को बढ़ावा एच सी वर्मा की किताब "Concepts of Physics" से भी मिलता है।
ऋग्वेद मे एक सूक्त है : ‘तरणिर्विश्वदर्शतो ज्योतिष्कृदसि सूर्य । विश्वमा भासि रोचनम् ।।’ ।।ऋृग्वेद 1.50.4।।अर्थात् हे सूर्य ! तुम तीव्रगामी एवं सर्वसुन्दर तथा प्रकाश के दाता और जगत् को प्रकाशित करने वाले हो ।इस सूक्त पर भाष्य करते हुए महर्षि सायण ने लिखा है -‘तथा च स्मर्यते योजनानां सहस्त्रं द्वे द्वे शते-द्वे च य…
मेरे प्राथमिक स्कूल का नाम : हिन्दी पूर्व माध्यमिक शाला झालिया महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के चुनिंदा सरकारी हिन्दी माध्यम के स्कूलों मे से एक। अधिकतर स्कूल मराठी माध्यम के हुआ करते थे। यह स्कूल कक्षा 1 से कक्षा 7 तक का(पूर्व माध्यमिक) था। जब तक हम कक्षा पाँच पहुंचे , हर कक्षा मे दो सेक्शन हो गए थे। लेकिन कुल कमरे पाँच ही थे, दो छप्पर मिलाकर भी 7 ही होते थे, कक्षाएं दोगुनी! इसलिए पाठशाला दो पारीयों मे लगने लगी थी। कक्षा 1 से 4 सुबह की पारी में सुबह साढ़े सात से ग्यारह तक, क…
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