भई, हम तो समझ ही नही पा रहे हैं माजरा क्या है ? ये क्या हो रहा है हमारे इडिया दैट इज भारत मे ? युँ ही चलता रहा तो हम तो बाल नोंच नोंच के गन्जत्व को प्राप्त हो जायेगें! कोइ हमे समझाए माजरा क्या है ?
अभी कल ही कपिलदेव जी बतीया रहे थे, क्या कहा कौन कपिलदेव ? अरे वही कपिल पाजी जो दूरदर्शन पर बिना ग्लीसरीन के रो रहे थे. याद आया कुछ ? हाँ तो कपिलदेव जी बतीया रहे थ कि सचिन को क्रिकेट से सम्मानजनक विदाई ले लेना चाहिये. अब ये मत पुछना ये सम्मानजनक विदाई क्या होती है? ये तो पाजी ही बता…
कहां से शुरु करुं ?
तो भैया हमने अपने चीठ्ठे का श्रीगणेश कर दिया. लेकीन विधीवत शुरुवात अभी शेष है .जिन्दगी के २८ वसन्त गुजार दीये हैं. यादो के झरोखे से देखो तो पता चलता है कि यदी लिख्नना शुरु कर दिया तो शायद एक पुरा ग्रन्थ बन जाएगा,शायद महाभारत से भी बडा.लीखना तो सब कुछ् है. लेकीन कहां से शुरु करुं ?
जब कुछ होश सभांला था, तब खुद को प्राथमिक पाठ्शाला मे पाया था. बचपन की उन खट्टी मिठि यादो की काफी स्मृतीयां शेष हैं. मेरा बचपन महाराष्ट्र के गोंदिया जनपद के एक छोटे से गाँव झालिया …
युं तो मै इद्रंजाल पर हिंदी की लगभग सभी पत्रीकाओ का नियमीत पाठक था, समाचार भी बी बी सी या अमर उजाला पर ही पढता था । ब्लागर का नाम तो सुन रखा था, लेकिन ये होता क्या है इससे पुरी तरह अजांन था । अभिव्यक्ति पर चलो चिठ्ठा लिखें पढा । अब हमारे ज्ञानचक्षु खुले और हम चिठ्ठा की महिमा से अवगत हुवे। उसके बाद हमने आरभं किया , इद्रंजाल को खंगालना । पता चला हम इस तीव्र सुचना तकनीक के युग मे रहते हुवे( काम करते हुवे) भी कितने अज्ञान थे , ठीक उसी तरह जीस तरह प्रमोद महाजन लोकसभा चुनाव …
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