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मिठ्ठू पूराण


ये है मेरे घर के सबसे महत्वपुर्ण सदस्य “मिठ्ठूराम”। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिये कि मम्मी भगवान को भोग लगाने से पहले मिठ्ठूराम को भोग लगाती हैं।

अब थोडा असर हम लोगो का भी है कि हमारे मिठ्ठूराम दुनिया के सबसे ज्यादा आलसियो मे से एक हैं। मिठ्ठू साहब का घर काफी बडा है, आराम से उनके जैसे ३ आ सकते है, बेचारे उसमे चक्कर लगाने मे थक जाते है।

मिठ्ठूराम मे अकल उनकी खोपडी के आकार से भी ज्यादा है। अपने घर का दरवाजा खोलना और बंद करना आता है। जब भूख हो तब तो साहब दरवाजा खोल कर अपने खाने की कटोरी बाहर फेंक देंगे, ये भी नही देखेंगे की नीचे कोई बैठा हुवा है। घर मे कटोरी के गीरने की आवाज आयी की सभी की आवाज एक साथ आती है “बिट्टी, मिठ्ठू को खाना चाहिये!” बिट्टी मेरी छोटी बहन का नाम है। और हमारे मिठ्ठूराम को खाना मिल जायेगा। लेकिन साहब काफी रईस खानदान से है, खाना हमेशा ताजा खायेंगे। मतलब ये कि यदि खाने को उनकी चोंच लग गयी तो जितना खाना हो खा लेंगे,बाद मे उसे छुयेंगे तक नही। और ऐसा भी नही, कि दिन मे ४-५ बार खायेंगे। किसी को भी कुछ भी खाते देख लिया,बस उन्हे वो खाने चाहिये। पहले खाने की कटोरी बाहर फेकेंगे। मिल गया तो ठीक, नही मिला तो अपने घर की एक एक चीज फेकना शुरू कर देंगे जैसे पानी की कटोरी, मिर्च के टुकडे, आम या अमरूद के बचे टुकड़े….. फिर भी आपने ध्यान नही दिया, अब आप की खैर नही… साहब को गुस्सा आ गया है, दरवाजा खुलेगा, साहब बाहर आयेंगे,पूरे शाही अंदाज मे आंखे छोटी किये हुये, सीर फुलाकर और सीधे आप जो भी खा रहे है उस पर झपट्टा मारेंगे। अब किसी की मजाल नही उस चीज को हाथ भी लगा सके सिवाय बिट्टी के। हां यदि बिट्टी सामने है तो साहब पूरी इमानदारी से मिल बांट कर खाने तैयार हो जायेंगे।

लेकिन मिठ्ठूराम को हमेशा भूख लगी हो ऐसा भी नही है, वो तो मूड पर निर्भर करता है। जब मूड ना हो आप कुछ भी दे दो नही खायेंगे। अपनी जगह से हिलेंगे भी नही। मूड ना हो तो पिंटू(मेरा भाई) के चिढाने पर भी नही हिलेंगे। वर्ना तो उनकी पिटू से दुशमनी है। दोनो हमेशा लढते रहते है। पिंटू ने यदि गलती से भी उसके पिंजरे को छू दिया, साहब दौडते हुये हाथ हटाने आ जायेंगे।

मिठ्ठूराम के शब्द्कोष मे यही कोइ ५०-६० के आसपास शब्द है, जो उन्होने पिछले १६ साल मे जमा किये है। दोपहर मे जब सभी सोते है, संत श्री मिठ्ठूराम का प्रवचन शुरू हो जाता है। मतलब ये कि जब मै जाग रहा हुं,  आप सो कैसे सकते है ? लेकिन जब उनके सोने का समय हो किसी की मजाल की उन्हे तंग कर सके। बस अपनी आंख खोलेंगे और गुर्रा कर बंद कर लेंगे जैसे कह रहे हो “अबे दिखता नही क्या, मै सो रहा हूं ?”

वैसे वो बिट्टी को प्यार से आवाज देते है “ए बिट्टी” लेकिन पिंटू को “अबे पिंटू” से बुलायेंगे। मम्मी को शराफत से “मम्मी” ही कहते है। सीटी बजाने मे उनका कोई जवाब नही। आप कैसी भी सीटी बजाये, वो एक बार या दो बार सुनेगा, तीसरी बार वैसी ही सीटी आपको सुनायेगा। मेरे कितने ही दोस्त शर्त लगा कर हार चुके है। मिठ्ठू राम “हर फिक्र को धुंन्वे मे उडाता चला गया” गाने की सीटी भी बजा चुके हैं।

जब घर मे फोन की या दरवाजे की घण्टी बजेगी, मिठ्ठूराम भी अपनी घंटी की आवाज निकालेंगे। दरवाजे से कोई आया तो अपना परिचय देंगे “मेरा नाम मिठ्ठू है। “

अपने मिठ्ठूराम को गाने सुनने का भी शौक है, टीवी पर गाने सुनेगा और सीटी बजायेगा। मम्मी की पूजापाठ मे भी उनका सहयोग रहेगा। मम्मी जब आरती करेंगी तब वो सीटी बजायेगा। जब मम्मी “हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे” गायेंगी तब वो भी साथ मे गायेगा।

कुल मिलाकर वो काफी शरीफ है लेकिन जब बिट्टी की सहेलियाँ आयेंगी, तब लोफर बन जायेगा। उनको देख कर भी सीटी बजायेगा। सभी से तमीज से बाते करेगा लेकिन पिंटू को “अबे पिंटू” ही कहेगा। बिट्टी के साथ यदि बैठा हो पता नही क्या क्या बोलते रहेगा, बिना रूके,लगातार बडबड चलते रहेगी। बिट्टी ने यदि उसको डांटा तो महाराज उसको भी नही छोडते, बोलेंगे “टेटकी“। हम लोग बिट्टी को चिढाने “टेटकी” कहते है, और पता नही कैसे मिठ्ठूराम ये जानता है।

घर मे मिठ्ठूराम का एक और दोस्त है “टामी” हमारा कुत्ता। मिठ्ठूराम टामी को नाम से बुलाते है। जब भी मिठ्ठूराम अपने घर(पिंजरे) के बाहर रहते है टामी उनके आसपास पहरेदारी करते रहते है। घरवालो को छोडकर किसी की क्या मजाल कि मिठ्ठूराम को छू भी सके, टामी घर तक छोडने आयेगा।

कभी कभी मिठ्ठूराम की कुछ हरकते हमे लोटपोट कर देती है। अभी १४ जनवरी को हम लोग घर मे बैठे थे। मिठ्ठूराम और टामी भी साथ मे थे। बिट्टी ने पूलाव बनाया था। सबसे पहले मिठ्ठूराम को भोग लगाया गया,साहब का मूड नही था एक कोने मे बैठे रहे। उन्होने पुलाव की ओर देखा तक नही। पिंटू ने उसे चिढाने के लिये दुसरे कोने मे हाथ रख दिया। मिठ्ठू को गुस्सा आ गया, दौड कर पिंटू का हाथ पिंजरे से हटाने आये। रास्ते मे पुलाव की कटोरी से टकरा गये। अब टकराये भी कुछ इस तरह से की उनकी चोंच मे पुलाव के कुछ चावल आ गये। मिठ्ठूराम पिण्टू को भुल पुलाव खाने मे जुट गये। पिंटू मिठ्ठू के आक्रमण का इंतजार कर रहा था और साहब खाने मे जुट गये थे।

हम लोगो का हंसी के मारे बूरा हाल हो गया था। टामी हम लोगो को हंसते देख कर हैरान था, ये क्या हो रहा है ?

4 टिप्पणीयां “मिठ्ठू पूराण” पर

आशीष भाई
बहुत खूब। लगे हाथ यह भी सुनो , कल ट्रेन में एक दोस्त ने सुनाया।
एक घर में चोर घुसा। अँधेरे में सामान तलाश रहा था कि आवाज आई Jesus is watching
चोर हड़बड़ाया, आसपास कोई दिखा नही। समझा कोई इलेक्ट्रानिक किलौना वगैरह होगा। फिर अपनी ढ़ुड़ाई में लग गया। कि फिर आवाज आई Jesus is watching”
चोर ने ध्यान से देखा तो कोने में एक पिंजरे में एक मिठ्ठू बैठे उवाच रहे थे कि Jesus is watching
चोर को सूझी तफरी, बोला Who are you?
मिठ्ठू बोले I am Moses
चोर ने फोर चुहल करके कहा Who the hell will name a parrot “Moses”
मिठ्ठू बोले Same person, who named our Doberman - “Jesus”
चोर बिल्कुल वैसे चौंका जैसे भूत में उर्मिला मातोंडकर। पीछे मुड़कर देखा , वाकई खूँखारमुखी Jesus the Doberman अपनी जुड़वाँ आँखो से चोर महाशय को फाड़ खाने से पहले घूर रहे थे।
अतुल द्वारा दिनांक जनवरी 19th, 2006

बहुत ही मजेदार लगते हैं आपके मिट्ठू राम जी। उनका वर्णन भी आपने बहुत अच्छे ढंग से किया है।
सारिका सक्सेना द्वारा दिनांक जनवरी 20th, 2006

आशीष भाई, मिट्ठूराम जी का रोचक विवरण पढ़कर मज़ा आ गया। तोता-कुल-शिरोमणि मिट्ठूराम जी काफ़ी अक़्लमंद जान पड़ते हैं।
Pratik Pandey द्वारा दिनांक जनवरी 20th, 2006

बडा बढिया लेख लिखा है।कुछ मात्रा वगैरह पर भी ध्यान दे दिया करो।
अनूप शुक्ला द्वारा दिनांक जनवरी 20th, 2006

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