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मिलना एक जीगरी मित्र से पंद्रह वर्ष बाद

17 बरस! प्रवीण से पिछली बार उसकी शादी में 2002 में मिला था। उसके बाद मे कई बार अमरीका आया, प्रवीण भारत आया लेकिन हम लोग किसी ना किसी वजह से मिल नही पाए। इस बार मेरी योजना दो सप्ताह रिचमंड वर्जीनिया, दो सप्ताह प्लानों टेक्सास की थी।

लेकिन मुझे प्लानों में जिससे मिलना था वह कम्पनी छोड़ गया। मेरी पूरी योजना खटाई में।

लेकिन बाद में सोचा कि एक सप्ताह अपनी टीम से ही मिल लेता हूँ। टिकट बुक कराई औऱ पहुंच गए टेक्सास।

प्रवीण पहले दिन खाना लेकर आया जिसको हमने तीन दिन तक खाया। शुक्रवार को प्रवीण ने ऑफिस से उठा लिया और घर पहुंचगे। भाभी, दोनो बच्चो कबीर और वेदिका से मिला।

तीन सप्ताह बाद अदरक वाली चाय पी। शुद्ध देशी घर का खाना खा कर आत्मा तृप्त हो गई।

उसके बाद गप्पे शुरू हुई, ठाकुर को न्यूजीलैण्ड फोन कर मातादीन की याद दिलाई गई, राजेश को लन्दन सुबह तीन बजे घंटी बजाई, उठाया नही।

सब मित्र मंडली 40 पार है, एक जमाने मे सब मूंछे रखते थे, अब केवल मेरी मूंछे बची है। पंडित के सर पर उतने ही बाल है जितने 17 साल पहले थे।

पुरानी यादें टटोली गई, भाभी ने पंडित की भंडारा वाले किस्सो के बारे में पूछा , हम बता नही पाए, किसी का नाम ही याद नही आया :(

सुबह जोर का झटका लगा जब पता चला कि पंडित शादी के बाद खाना बनाना सीख गया है, भाभी ने इडली और पंडित ने सांभर और चटनी बनाई।

जाते समय भाभी ने चाय के लिए पूछा और हम मना नही कर पाए, इस चाय के चक्कर मे रिचमंड की फ़्लाइट छूटते बची।

पंडित ने भंडारा वरठी में स्कूटर चलाने के अंदाज में कार चलाई और जब देख लिया कि बंदा सुरक्षा जांच पूरी कर चुका है, वापिस आने का खतरा नही है तभी वापस गया।

पंडित, मानेगा या नही लेकिन फ्लाइट में तुझे sms भेजते समय आंखे नम थी।

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