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जीसस, क्रिसमस और आध्यात्मिक बिजनस

क्रिसमस : दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक/धार्मिक बिजनेस का सबसे बड़ा मार्केटिंग उत्सव

बिजनिस मुख्यालय : वेटिकन, इतना शक्तिशाली की देशों सरकारें बदल सकता है। इतना सफल कि विश्व के कोने कोने में बिजनस फैला दिया।

इतना कट्टर कि लाखों की जाने ली, विच हंटिंग, क्रुसेड से लेकर ब्रूनो को जलाने, गैलेलियो को जेल भेजने तक। (बाकी सब ठीक लेकिन ब्रूनो और गैलेलियो के साथ इनके व्यवहार को तो हम कभी माफ करने से रहे।)

दूसरी ओर इतना लचीला कि एक पेगन त्योहार को हाईजैक कर विश्व का सबसे बड़ा उत्सव बना दिया और मई या जून के जीसस के जन्मदिन को दिसंबर में खींच लिया। बाइबल में जीसस के जन्मतिथि नही दी है, यह कहीं नही लिखा कि उनका जन्मदिन दिसंबर में है लेकिन इस बात के पर्याप्त संकेत है कि उनका जन्म दिसम्बर में नही हुआ था। इतिहासकार लगभग एकमत है कि बाइबल के संकेतों के अनुसार उनका जन्म मई या जून में हुआ था। जबकि क्रिसमस मनाने का वर्णन जीसस से कम से कम हजार वर्ष पहले तक का मिलता है।

सैंटा क्लॉज का भी क्रिश्चियनिटी से कोई संबंध नही है।

एक वैकल्पिक थ्योरी के अनुसार जीसस नाम के  किसी व्यक्ति के होने पर ही प्रश्न है, इसके अनुसार उनके जीवन की सारी घटनाएं  इधर उधर से उठाई हुई है।

बाइबल में जीसस के जन्म के समय की घटनाओं का वर्णन है, उसके बाद के तीस साल गायब है औऱ अंत के तीन वर्षों की घटनाएं दी गई है। इतने महत्वपूर्ण व्यक्ति के तैतीस वर्ष के जीवन के केवल तीन वर्ष के जीवन का वर्णन ?

बाईबल का न्यू टेस्टामेंट भी जीसस के सूली चढ़ाने की घटना के एक सदी बाद लिखा गया। उसमे जितनी भी बुक्स है उनके लेखको में से किसी ने भी जीसस को नही देखा। वे सब जीसस के शिष्यों के शिष्य है।

कुछ इतिहासकारों के अनुसार क्रिश्चियनिटी का उद्भव राजनैतिक वर्चस्व की लड़ाई का परिणाम है। रोमन साम्राज्य और उससे जुड़े लोगो के वर्चस्व से जुड़ी घटनाओं में कॉन्सटेंटाइन ने इस धर्म की स्थापना करवाई।

क्रिश्चियनिटी के मुख्य प्रतीक मरियम और गोद मे जीसस वाली प्रतिमा भी आइसिस देवी और उनकी गोद मे होरुस से उठाई गई है।

जीसस के जन्म से लेकर मृत्यु और पुनः जी उठने तक की जितनी भी कहानियां है, उसका एक रूप किसी अन्य मिथकीय  देवी, देवता या ऐतिहासिक व्यक्ति से जुड़ा हुआ मिल जाता है चाहे वह कंवारी माता से जन्म हो, या सूली पर चढ़ाया जाना हो, या पानी से शराब बनाना हो। कुछ आलोचक तो यहाँ तक मानते है कि जीसस का सारा व्यक्तित्व ही गढ़ा हुआ है, यह सम्भव है कि जीसस नामका कोई वास्तविक व्यक्ति रहा हो, लेकिन उनके कथित जीवन से सम्बधित सभी घटनाएं का सृजन मिथकीय देवताताओ/अन्य वास्तविक व्यक्तियों से जुड़ी घटनाओं को  उठाकर एक दैवीय व्यक्तित्व के निर्माण के उद्देश्य से हुआ है।

इस धर्म का प्रादुर्भाव और फैलाव यह दर्शाता है कि आम जनमानस को चमत्कार (भले ही वह गढ़ा हुआ हो) किस तरह से प्रभावित करता है, किस तरह से कहानियां गढ़ कर ही राज किया जा सकता है।

चमत्कार एक पहलू है, दूसरा महत्वपूर्ण पहलू हैं सत्ता और धन का समर्थन। इस आध्यात्मिक बिजनिस के पास आरंभ के कुछ समय को छोड़कर राजकीय समर्थन रहा। राजाओं, सम्राटो ने कई युद्ध लड़े। क्रुसेड के नाम पर कितने भयावह युद्ध लड़े गए और खून बहा।

यह रहा भूतकाल, वर्तमान मे भी इसकी सफलता के पीछे सत्ता और पैसे दोनो का हाथ है।

कितनी भी आलोचना कर लो, इस आध्यात्मिक बिजनस के सफल होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है पैसों का सही तरीक़े से निवेश। ये चर्च कम खोलते है, स्कूल और अस्पताल अधिक बनाते है।

स्कूल और अस्पताल ऐसी जगह है जहां से मार्केटिंग आसानी से होती है और असर लंबे समय तक रहता है।

तो ऐसा है कि इनकी आलोचना छोड़ो, इनके मार्केटिंग की तोड़ खोजो। स्कूल अस्पताल खोलो, भूखों को खाना दो। स्वास्थ्य और भूख किसी भी आध्यात्मिक आवश्यकता से ऊपर है। नही करोगे तो विलुप्त हो जाओगे...

तब तक कुढिये मत उत्सव का आनंद लीजिए ...
#फुटकर_नोट्स #Jesus_Myth

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