इन सब से होता यह है कि किसी भी अफवाह की चपेट में आसानी से नही आता।
2002 के आसपास एक मित्र अपोलो 11 के द्वारा चन्द्रमा पर अवतरण को झूठ बताते हुए कुछ लिंक दी, साथ ही में फॉक्स टीवी के एक वृत्तचित्र(डॉक्यूमेंट्री) की लिंक। देखा थोड़ा चकराया, विश्वास हिला। उसके बाद इंटरनेट पर खोजना आरम्भ किया। खोज के शब्द थे Moon Landing Hoax, जितने भी लिंक मिले सारे चन्द्रमा पर अवतरण को गलत बात रहे थे। लेकिन अचानक फिल प्लेट(Phil Plait) की वेबसाइट http://www.badastronomy.com/index.html मिल गई औऱ 30 मिनट में आंखे खुल गई। थोड़ी शर्म भी आई कि विज्ञान का विद्यार्थी होने के बावजूद कैसे इन खोखले अवैज्ञानिक तर्कों की चपेट में आ गया।
उसी दौरान माइकल शेरमर को पढ़ना आरम्भ किया। कुछ अन्य संशयवादी जैसे जेम्स रैंडी को पढ़ा। धीरे धीरे अफवाहों, छद्म विज्ञान को पहचानना आ गया।
मेरे कुछ तरीके है जैसे मैं किसी भी अप्रत्याशित खबर के बारे में अधिक जानने निगेटिव खोज करता हूं। जैसे खोज में debunk, hoax जैसे शब्द जोड़ देता हूं। इससे यह होता है कि प्रश्नवाचक,विरोधी विचार पहले सामने आते है। यकीन मानिए विपरीत विचार वालो को विषय पर समर्थकों से अधिक जानकारी युक्त ही पाया है।
जब CERN में न्यूट्रिनो के प्रकाशगति से तेज चलने वाली खबर आई थी, तब भी यही किया था। उस समय भी फील प्लेट के ब्लॉग में उन्होंने कहा था कि प्रयोग में गलती हो सकती है, हमे तीसरे पक्ष द्वारा पुष्टि का इंतजार करना चाहिए। अंत मे वही पाया गया कि प्रयोग में गलती थी।
यही तरीका 2012, प्लेनेट X, निबिरु, नेमसिस के लिए अपनाया। प्लेनेट नाइन के समर्थन मे गणितीय मॉडल है लेकिन प्रमाण नही है, इसलिए प्रमाणों के सामने आते तक मेरे लिए वह नही है।
एड्स के हॉक्स होने, रोगों के चमात्कारिक इलाज के दावे, इल्युमिनाटी, यहूदी कांस्पिरेसी जैसे विषयो पर भी यही कसौटी रहती है, समर्थक की बजाय निंदक खोजो। सही खबर की ओर संकेत वही देगा, जांचने परखने के बाद विश्वास केवल प्रामाणिक तथ्यों पर।
व्हाट्स एप्प, फेसबुकिया ज्ञान , वर्तमान मीडिया की खबरों पर भी उल्टी गंगा बहाते है। दक्षिणपंथी समाचार के बारे में विस्तार से जानने वामपंथ की ओर देखते है, वामपंथी की पोल जानने दक्षिणपंथी को। लेकिन मानते उसी को है जिसके पक्ष में पुख्ता प्रमाण हो।
कभी किसी भी समाचार पर त्वरित विश्वास नही करते, प्रतिक्रिया नही देते। धुंध छंटने दो, असलियत बाहर आ ही जाएगी।
बस आज का ज्ञान इतना ही...
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