Looking For Anything Specific?

ads header

ये जो हल्का हल्का सुरूर है ...

 

असीमोव और नुसरत फतह अलीखान जुगलबंदी

गहरी नींद सोया था, अलेक्सा ने जगा दिया। तैयार हुए , हल्का गर्म पानी पिया, चाय बनाई और पी।

दौड़ने के लिए निकल लिए। फोन में म्यूजिक प्लेयर चालू किया। रात को नुसरत फतेह अली खान सुन रहे थे, वही शुरू हो गए ...

ये जो हल्का हल्का सुरूर है ...


सुबह सुबह और सुरूर ... खैर जेब से फोन निकाल कर गाना बदलने का मूड नही हुआ, चलने दिया।

हल्का अंधेरा था। पूरब में लालिमा थी , इक्का दुक्का तारे भी दिख रहे थे। याद आया कि कल ही असिमोव की "रोबोट्स ऑफ डॉन" खत्म की है, अगला उपन्यास "रोबोट्स एन्ड एम्पायर" है। साथ ही आर्थर क्लार्क़े का "रांदेवू ऑफ रामा" भी रखा है। आर्थर क्लार्क़े की रामा शृंखला पढ़ी हुई है लेकिन ईबुक से, अब हाथ मे छपी किताब है।

अचानक ख्याल आया असिमोव के ब्रह्मांड और रामा शृंखला की जुगलबंदी वाली कहानी कैसी रहेगी ? कभी फुरसत मिली तो लिखेंगे।

दौड़ते दौड़ते 5 किमी हो गए थे, नुसरत साहब भी गा रहे थे ...


तुम एक गोरखधंधा हो ...

घर आये, व्यायाम के लक्ष्य में 20 मिनट बचे थे, स्टेशनरी साइकिल निकाली। नुसरत साहब को अलेक्सा की ओर भेज दिया। अलेक्सा को लाइट्स शुरू करने और पंखे की गति बढ़ाने कह दिया।

असिमोव के विश्व मे भी मनुष्य यह सब नही करते है। वो केवल आदेश देते है और रोबोट्स काम करते है। मानव केवल बौद्धिक काम करते है। 

साइकल चलाते हुए, रोबोट्स एन्ड एम्पायर उठा लिया है। नुसरत साहब भी कह रहे है ...

आफरीन आफरीन ...

सोलारिया में जन्मी, अरोरा में बसी ग्लेडिया अब 230 वर्ष की है। अपने रोबोट्स दानील और गिसकार्ड के साथ अरोरा में ही है।

लेकिन उसकी यादों में अब भी पृथ्वी वासी "एलिजा बेली" है, जो ग्लेडिया से दस वर्ष बड़ा था और अब उसकी मृत्यु को एक सदी से ऊपर हो चुके है ...

नुसरत साहब लूप में फंस गए है


तू मेरे खून में बह रहा है कहीं 

तू मेरे ख्वाब में जग रहा है कहीं 

मेरी हर बात में बस तेरा ज़िक्र है 

कुछ मेरे बारे में कहो ना तुम


ये जो हल्का हल्का सुरूर है

तेरे इश्क का ही फितूर है

मैंने जो लिखा था मिटा दिया 

और तुझको अपना खुदा किया

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ