युं तो मै इद्रंजाल पर हिंदी की लगभग सभी पत्रीकाओ का नियमीत पाठक था, समाचार भी बी बी सी या अमर उजाला पर ही पढता था । ब्लागर का नाम तो सुन रखा था, लेकिन ये होता क्या है इससे पुरी तरह अजांन था । अभिव्यक्ति पर चलो चिठ्ठा लिखें पढा । अब हमारे ज्ञानचक्षु खुले और हम चिठ्ठा की महिमा से अवगत हुवे। उसके बाद हमने आरभं किया , इद्रंजाल को खंगालना । पता चला हम इस तीव्र सुचना तकनीक के युग मे रहते हुवे( काम करते हुवे) भी कितने अज्ञान थे , ठीक उसी तरह जीस तरह प्रमोद महाजन लोकसभा चुनाव के पहले थे । खैर देर से आये दुरूस्त आये । एक के बाद एक चिठ्ठा पढा फुरसतिया को फुरसत से,ईस्वामी को श्रद्धा से(नोट किया जाए कि श्रद्धा नामक किसी कन्या से हमारा कोई सबंध नही है !),रोजनामचा तेज गली की रफ्तार से,ठेलुवा को ठेलवयी करते हुवे पढा । हम पढते रहे और सीर धुनते रहे कि हमने अपना खाली समय ऐसे ही अपनी टीम को डाटंने फटकारने मे बरबाद कर दिया ।(बदां गलती से प्रोजेक्ट मैनेजर है।)
हमने भी सोच लीया कि हम भी चिठ्ठा लिखेगे । चिठ्ठा लिखने कई फायदे हमे नजर आये ,अव्वल तो हमारी टिम शांती के साथ काम करेगी (वैसे तो शांती हमारे कक्ष मे महत्वपुण चचा मे व्यस्त रहती थी)। दुसरा कंपनी को भी लगेगा कि हम कुछ काम करते भी हैं (मगर क्या ? ये तो आजतक हमे खुद नही मालुम कि हम करते क्या है ?)
तो भाई लोगो हमने भी विश्वजाल पर अपना चिठ्ठा बना तो लिया, अब चिठ्ठा के नामकरण का सवाल ? ये यक्ष प्रश्न हल किया बालाजी ने,उसने हमे चितांग्रस्त पा कर पुछ लिया "ए खाली-पीली क्या कर रहा है ?" आपकी जिज्ञासा की शातीं के लिए बता दें बालाजी भी खाली-पीली यानी प्रोजेक्ट मैनेजर है । मुझे अपने चिठ्ठे का नाम मील गया ।
अब रहा सवाल हिंदी मे टकंण का, अतुल भाई के रोजनामचा से छहारी का पता चला । शुरुवात मे कुछ तकलीफ हुई पर छहरी कुजींपटल का प्रयोग भी सीख लिया ।
अब सबसे बढा सवाल इस चिठ्ठे मे लिखा क्या जाए ? कहाँ से शुरु करुँ ? इस सवाल का जवाब अगले अकं मे । मिलते हैं एक लघु अतंराल के बाद ।
2 टिप्पणियाँ
Ab ise bhi padhna padega..!