पिछले सप्ताहांत को मैं अपने गृह नगर गोंदिया गया था, हमेशा की तरह द्वितीय श्रेणी शयनयान से। मेरे कुपे मे मेरे अलावा एक तमिळ परिवार था, मम्मी-पापा और एक १६-१७ साल की कन्या।
शाम के १० बजे रेल-यात्रा शुरू हुयी, मैं कमलेश्वर जी का उपन्यास “कितने पाकिस्तान” पढ रहा था। पढ़ते पढ़ते सो गया। सुबह जब मैं सो कर उठा, तब देखा कि वह लड़की कुछ पढ रही थी। मैने मुंह हाथ धोने के लिये चला गया। जब वापिस आया तो पाया कि उस लड़की और उसके माता पिता मे किसी बात पर बहस हो रही है। बहस तमिळ मे थी , मेर…
दरिया किनारे बैठा
कभी उंचे पहाडो पे
विचरता यह मन सोचता है
क्या है तेरी तलाश
क्या है तेरी तलाश
क्या है जो तु खोजता है
भावनाओं से भरा हर क्षण
कभी आशाओ का प्रतिक
कभी निराशाओ से भरा मन
फिरता है ये चंचल
उस समय के ईंतजार मे
जब मिलेगी तुझे तेरी मंजील
होगा तेरे जिवन मे भी प्रकाश
सामना कर इन कठीनाईयो का
रख अपने पर विश्वास
ये ही नियम है संसार का
कि पतझड के बाद ही आता है
मौसम बहार का
और यही है उसकी रीत
कि हार के बाद आती है जीत
ए मन ! रख सिर्फ ये अहसास
कि तुझमे है आत्म विश्वास
इसलिये सफल होंगे तेरे प्रयास
…
आज एक अच्छी खासी बहस छिडी हुयी है आरक्षण पर। हर कोई अपने अपने तर्क-कुतर्क दिये जा रहा है। लेकिन क्या किसी ने अपने तर्को तथ्यो और आकंडो से प्रमाणीत करने की कोशीश की है ? पक्ष या विपक्ष मे जितने भी तर्क दिये जा रहे है वह वैज्ञानिक/सांख्यकिक तथ्यो पर आधारीत ना हो कर भावनाओ पर आधारीत है।
जैसा कि आप जानते है , आरक्षण सिर्फ और सिर्फ १० सालो के लिये लागु किया गया था। अब यह आरक्षण ५७ वर्षो से चला आ रहा है। क्या किसी समाज विज्ञानी ने इस आरक्षण व्यवस्था का परिणाम जानने की कोशीश की है…
आधुनिक अर्जून कुरूक्षेत्र मे निराश बैठे थे। अर्जुन ने अपनी युवावस्था मे अनेको युध्द लडे थे और जीते थे। जिवन के संध्याकाल मे उनका पराक्रम चुक गया था और ये हालत हो गयी थी की महारथी अर्जुन को एक पैदल भी हरा देता था। महाराजा के दरबार मे उनकी पहले जैसी इज्जत नही बची थी, लोग अब उनकी उम्र का लिहाज कर चुप रहते थे।
आधुनिक अर्जुन ने एक सपना देखा था, धर्मराज को उनका खोया राज्य दिलाने का नही, अपने लिये चक्रवर्ती राज्य प्राप्त करने का। इसके लिये उन्होने अथक परिश्रम भी किया था, अपने छोटे…
आज ही चेतन भगत की “वन नाईट एट काल सेंटर” खत्म की।
पढने के बाद समझ मे आया कि यह उपन्यास “इंडियन एक्स्प्रेस” की लोकप्रिय पुस्तको मे पिछ्ले तीन महिनो से क्रमांक एक पर क्यो हैं। चेतन भगत के लिखने का तरीका बेहतरीन है, कथा मे एक निरंतरता और उत्सुकता बनी रहती है। यही निरंतरता और उत्सुकता उपन्यास की जान है।
यह कहानी एक कुछ ऐसे नौजवानो ( २ युवक और ३ युवतीयां) की है, जो एक “काल सेंटर” मे काम करते है। पूरा कथानक एक रात का है जो शाम से शूरू होकर सुबह खत्म हो जाता है।
यह कथानक काल सेंटर…
इस विषयपर लिखने के लिये मूझे किसी चेतावनी या नोटीस देने की जरूरत नही है। धर्म पर लिखा गयी कोई भी लेख आपत्तिजनक नही हो सकता है। यदि वह लेख धर्म मानने वालो को आपत्तीजनक लगता है, इसका अर्थ यह है लेखक और पाठक दोनो मे से किसी एक को या दोनो को धर्म की जानकारी नही है। अज्ञान की कोई सजा नही होती है।
मेरे जिवन पर धर्म का क्या प्रभाव है, इस विषय पर मेरे अलावा भी मेरे आसपास के हर क़रीबी व्यक्ति का भी अलग मत हो सकता है। मेरे मित्र मुझे नास्तिक मानते है। मेरे परिवार के व्यक्ति मुझे नास्…
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