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मानव मस्तिष्क : लूसी और माइंड पॉवर स्टडी टेक्निक

 

लूसी 

1990 के आसपास पत्रिकाओं अखबारों में एक विज्ञापन पढ़ते थे। राजस्थान की किसी जगह का था, कोटा था या कोई और याद नही।

उस विज्ञापन में मस्तिष्क की शक्ति, पढ़ने की गति बढाने की कोई पुस्तक बेची जाती थी। पुस्तक हिंदी में थी लेकिन पुस्तक के टाइटल में "माइंड" या "ब्रेन" शब्द था।

विज्ञापन का लब्बोलुबाब था कि मानव अपने मस्तिष्क का केवल 20% प्रयोग करता है। आइंस्टाइन जैसे लोग भी 25% प्रयोग कर पाते है। प्राचीन कॉल में ऋषि लोग कुंडलिनी जागरण से इसे 80% तक पहुंच देते थे। पुस्तक खरीदिये और मस्तिष्क क्षमता बढाइये। कीमत केवल 250 रूपये।

250 रूपये उस समय बहुत बड़ी राशि थी। 60 रूपये में विज्ञान प्रगति पत्रिका की वार्षिक सदस्यता मिलती थी। 100 रूपये में स्कूल की सारी किताबे आ जाती थी।

पापा को विज्ञापन दिखाया, आशानुरूप अनुमति नही मिली। पापा ने पढ़ने की गति बढ़ाने की कुछ तकनीक भी बताई। लेकिन कुण्डलिनी जागृत करने का मौका निकल गया।

बाद में हम किताब भूल गए।

2015 के आसपास विज्ञान विश्व पर एक प्रश्न आया कि आप लूसी फ़िल्म के बारे में क्या सोचते हो ? फ़िल्म नही देखी थी तो कहा कि देखकर बताते है। कुछ दिनों बाद दो तीन लोगों ने और पूछा। एक तो पीछे ही पड़ गया।


फ़िल्म देखी और वही बचपन की किताब याद आ गई। इस फ़िल्म में CPH4 से लूसी की मस्तिष्क क्षमता को 20% से 100% तक बढ़ते दिखाया है। मानव से महामानव और अंत मे ईश्वर जैसी शक्ति मिलते दिखाया है।


फ़िल्म में मोर्गन फ्रीमैन जैसे अभिनेता है जो कि एक अच्छे विज्ञान प्रस्तोता भी है, लेकिन इस फ़िल्म में न्यूरोलॉजी की ऐसी तैसी कर रहे है।


मानव मस्तिष्क का 100% भाग कार्य करता है। हर भाग का कार्य निर्धारित है, इसे eMRI में देखा जा सकता है। लकवा या पैरेलिसीस मस्तिष्क के किसी भाग के मृत होने या कार्य ना करने से होता है। लेकिन मस्तिष्क के भागों में यह विलक्षण क्षमता भी है कि वह इन मृत/असक्रिय भागो के कामो की जिम्मेदारी भी उठा सकते है।


लूसी मनोरंजन के लिए ठीक है बस उसे विज्ञान ना माना जाए।


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मित्रों ने याद दिलाया कि वह किताब राज बापना की " Mind Power Study Techniques" थी

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