जेम्स हिल्टन का उपन्यास लॉस्ट होराइजन समाप्त किया।
इस पुस्तक को जो चीज पठनीय बनाती है वह है कहानी की कसावट और प्रवाह। साथ में कहानी के अंत को खुला छोड़ दिया है, आप स्वयं सोचे कि नायक के साथ क्या हुआ होगा। कहानी को अनावश्यक विस्तार नही दिया है।कथा द्वितीय विश्वयुद्ध के तुरंत बाद के समय में है लेकिन इसका कोई असर नही है।थियोसोफिकल सोसाइटी की विचारधारा, गाथाओं को पढ़ चुका था। सांगरीला की कहानी भी कई जगह पढ़ी थी, डैन ब्राउन भी लिख चुके है।कथानक आश्चर्य जनक नही लगा।इस कहानी के कथा…
इंटरनेट पर दावा किया जाता है कि ऋग्वेद मे प्रकाश गति दी गई है। इस तरह की अफवाहों को बढ़ावा एच सी वर्मा की किताब "Concepts of Physics" से भी मिलता है।
ऋग्वेद मे एक सूक्त है : ‘तरणिर्विश्वदर्शतो ज्योतिष्कृदसि सूर्य । विश्वमा भासि रोचनम् ।।’ ।।ऋृग्वेद 1.50.4।।अर्थात् हे सूर्य ! तुम तीव्रगामी एवं सर्वसुन्दर तथा प्रकाश के दाता और जगत् को प्रकाशित करने वाले हो ।इस सूक्त पर भाष्य करते हुए महर्षि सायण ने लिखा है -‘तथा च स्मर्यते योजनानां सहस्त्रं द्वे द्वे शते-द्वे च य…
मेरे प्राथमिक स्कूल का नाम : हिन्दी पूर्व माध्यमिक शाला झालिया महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के चुनिंदा सरकारी हिन्दी माध्यम के स्कूलों मे से एक। अधिकतर स्कूल मराठी माध्यम के हुआ करते थे। यह स्कूल कक्षा 1 से कक्षा 7 तक का(पूर्व माध्यमिक) था। जब तक हम कक्षा पाँच पहुंचे , हर कक्षा मे दो सेक्शन हो गए थे। लेकिन कुल कमरे पाँच ही थे, दो छप्पर मिलाकर भी 7 ही होते थे, कक्षाएं दोगुनी! इसलिए पाठशाला दो पारीयों मे लगने लगी थी। कक्षा 1 से 4 सुबह की पारी में सुबह साढ़े सात से ग्यारह तक, क…
और पढ़ें2004 : दिल्ली से चेन्नई पहुंचे। दिल्ली में थे तो सुबह नाश्ते में अधिकतर पराँठे या सैंडविच ही खाते थे। चेन्नई में नाश्ते में इतनी
विविधता थी कि दिल खुश हो गया था। इडली, दोसा, वड़ा, पोंगल, पूरी, उत्तपम ..... हर दिन नया नाश्ता या दो तीन व्यंजन एक साथ भोग लगाते थे। दोपहर और शाम का भोजन भी शुरू शुर में मस्त लगा। चावल, सांभर, रसम, सब्जी और कर्ड-राइस। कभी वेराइटी राइस, जिसमे पुलिहोरा, लेमन राइस, कोकोनट राइस, कारा राइस खाते थे। चावल में ही दर्जनों स्वाद मिलते थे। लेकिन कुछ दिनों बाद स…
ठंडा मतलब कोकाकोला लहर पेप्सी आहा! यह सब तो बहुत बाद मे सुना! हम तो उस पीढ़ी से है जिसने गोल्ड स्पॉट द जिंग थिंग !थम्स अप टेस्ट द थंडर !सुनते हुए जवानी मे कदम रखे थे! वैसे जिस गाँव मे पले बढ़े वहाँ ये सब नहीं मिलता था, वहां अनजाने से लोकल ब्रांड मिलते थे, जो रंगीन सोडावाटर होते थे, कीमत थी 1 रूपये, डेढ़ रूपये। गाँव मे ये चाय की टपरी मे ठंडे पानी के मटके मे रखी होती थी। गाँव मे उस समय फ्रिज किसी के पास था नहीं, बिजली कुछ ही घरों मे थी। लिमका,गोल्ड स्पॉट, थम्स अप जैसे ब्रांड शाय…
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