आज मैं "The Core" हॉलीवुड का एक चलचित्र देख रहा था. उसमे एक सवांद है जो मुझे काफी अच्छा लगा. नौकरी के लिए साक्षात्कार के लिये ये संवाद उपयोगी हो सकता है.
ये चलचित्र देखते समय मन अचानक भटक गया और अचानक सोचने की दिशा कहीं और मुड़ गयी. कहानी कुछ इस तरह है, किसी प्रयोग के कारण पृथ्वी के कोर मे स्थित पिघला हुआ लोहा जो हमेशा घूमते रहता है, अचानक घूमना बंद कर देता है. यह घूमता हुवा लोहा पृथ्वी को एक चुबंकिय शक्ति प्रदान करता है जिससे पृथ्वी के उत्तर और दक्षिणी ध्रुव बनते है. यही चुबंकिय शक्ती पृथ्वी को सौर ज्वाला तथा कास्मीक विकिरण से बचाती है. इसी शक्ति के कारण वातावरण की स्थैतीक उर्जा का संतुलन बना होता है, अन्य हर जगह हर समय बिजली गिरने का खतरा बना रहेगा. विमान तथा पक्षी इसी चुबकिंय शक्ती का उपयोग कर दिशा तय करते हैं.
अब इस पृथ्वी के कोर मे स्थीत इस रुके हुवे पिघले हुवे लोहे को फिर से कैसे घूमती हुई स्थिति मे लाया जाये ? जवाब काफी आसान है, पृथ्वी के कोर मे जाकर नाभिकिय विस्फोट किया जाये. मै सोच रहा था की अमरीका के फिल्मकारो को हर समस्या का जवाब नाभीकिय शक्ति क्यों लगती है ? ये तो सिर्फ एक उदाहरण था. कुछ और चलचीत्र है "The Volcano" मे भूकंप रोकना हो,"The asteroid", मे उल्कापिंड नष्ट करना हो नाभिकिय विस्फोट कर दो. या फिर कहानी कुछ इस तरह होगी की आतंकवादियो के हाथो मे परमाणु हथीयार पहुच जायेगे.
हर दूसरी फिल्म की कहानी होगी , अमरीका पर हमला. अब ये हमला आतंकी कारवायी हो, या दुश्मन देश का हमला वो भी नही तो दूसरे ग्रह से.
साहित्य की तरह , फिल्मे भी समाज का आईना होती है, अमरीकी समाज इतना भयभीत क्यों रहता है ?
कहा जाता है की इस देश क इतिहास ही हिन्सा से भरा हुवा है. वो रेड इंडीयनो से संघर्ष हो, या उसके बाद का खूनी स्वतंत्रता सन्ग्राम. विश्व युद्ध और उसके बाद शीत युद्ध्. और आंतक के खिलाफ युद्ध. ये सभी कारण है इस भय का.
लेकिन क्या ये सच है ? पता नही. नियती की विडंबना दुनिया का सबसे शक्तीशाली राष्ट्र और सबसे ज्यादा भयभीत जनता !
विचारों की धारा कहां से कहां पहुँच गयी !
नायक : "Is there anything that you can not do ?" (क्या ऐसा कोई काम है जो आप नही कर सकते ?)
नायिका :"Not I am aware of !"(ऐसा कोई काम मेरी जानकारी मे तो नही है)
ये चलचित्र देखते समय मन अचानक भटक गया और अचानक सोचने की दिशा कहीं और मुड़ गयी. कहानी कुछ इस तरह है, किसी प्रयोग के कारण पृथ्वी के कोर मे स्थित पिघला हुआ लोहा जो हमेशा घूमते रहता है, अचानक घूमना बंद कर देता है. यह घूमता हुवा लोहा पृथ्वी को एक चुबंकिय शक्ति प्रदान करता है जिससे पृथ्वी के उत्तर और दक्षिणी ध्रुव बनते है. यही चुबंकिय शक्ती पृथ्वी को सौर ज्वाला तथा कास्मीक विकिरण से बचाती है. इसी शक्ति के कारण वातावरण की स्थैतीक उर्जा का संतुलन बना होता है, अन्य हर जगह हर समय बिजली गिरने का खतरा बना रहेगा. विमान तथा पक्षी इसी चुबकिंय शक्ती का उपयोग कर दिशा तय करते हैं.
अब इस पृथ्वी के कोर मे स्थीत इस रुके हुवे पिघले हुवे लोहे को फिर से कैसे घूमती हुई स्थिति मे लाया जाये ? जवाब काफी आसान है, पृथ्वी के कोर मे जाकर नाभिकिय विस्फोट किया जाये. मै सोच रहा था की अमरीका के फिल्मकारो को हर समस्या का जवाब नाभीकिय शक्ति क्यों लगती है ? ये तो सिर्फ एक उदाहरण था. कुछ और चलचीत्र है "The Volcano" मे भूकंप रोकना हो,"The asteroid", मे उल्कापिंड नष्ट करना हो नाभिकिय विस्फोट कर दो. या फिर कहानी कुछ इस तरह होगी की आतंकवादियो के हाथो मे परमाणु हथीयार पहुच जायेगे.
हर दूसरी फिल्म की कहानी होगी , अमरीका पर हमला. अब ये हमला आतंकी कारवायी हो, या दुश्मन देश का हमला वो भी नही तो दूसरे ग्रह से.
साहित्य की तरह , फिल्मे भी समाज का आईना होती है, अमरीकी समाज इतना भयभीत क्यों रहता है ?
कहा जाता है की इस देश क इतिहास ही हिन्सा से भरा हुवा है. वो रेड इंडीयनो से संघर्ष हो, या उसके बाद का खूनी स्वतंत्रता सन्ग्राम. विश्व युद्ध और उसके बाद शीत युद्ध्. और आंतक के खिलाफ युद्ध. ये सभी कारण है इस भय का.
लेकिन क्या ये सच है ? पता नही. नियती की विडंबना दुनिया का सबसे शक्तीशाली राष्ट्र और सबसे ज्यादा भयभीत जनता !
विचारों की धारा कहां से कहां पहुँच गयी !
3 टिप्पणियाँ
बहुत विरली और सुंदर बात कही है, बहुत तेज नजर है, शानदार पोस्ट पर बधाई - इसकी कडी तो देसीपँडित पर डाला जाना चाहिए!
इन्टेल के एन्ड्रयु ग्रोव कहते हैं "मात्र भयभीत ही बचता है!" - "Only the Paraniod Survive".
http://www.intel.com/pressroom/kits/bios/grove/paranoid.htm
आप उपरोक्त कडी और यह किताब जरूर पढें. अमरीकी समाज ने जो हासिल किया है वे उसका मूल्य समझते हैं और अपनी सत्ता,संपन्नता को किसी भी कीमत पर खोना नही चाहते. हाँ उनके पास खोने के लिए बहुत कुछ है , खोने का भय ही उन्हे आगे बढाता रहता है. मेरे दृष्टीकोण मे इसीलिए यह एक बौद्धिकतावादी प्रपंचवादी समाज है,प्रपंच एक अच्छे मतलब मे नकारात्मक मतलब मे नही! साम-दाम-दण्ड-भेद से पाया और बचाया है. भय का उत्तर है संकट खडा करने वाली परिस्थितोयों की समझ और उनके प्रतिकार की जुगत उपलब्ध साधनो से, और ना हो तो नए साधन खडे करने का पहले से किया गया प्रपंच या तैयारी इन फिल्मों का यही संदेश होता है.
- eswami
http://hindini.com/eswami
अमेरिका की तो सारी संस्कृति समन्वय की है.पर मूल तत्व की बात करें तो यह दूसरों के प्रति असहिष्णुता की संस्कृति है.अमेरिका में जब अंग्रेज आये तो यहां के मूल निवासियों (रेड इंडियन) को मारा,बरबाद कर दिया. रेड इंडियन उतने सक्षम ,उन्नत नहीं थे कि मुकाबला कर पाते (जैसा भारत में द्रविङों ने आर्यों का किया होगा). मिट गये.यह दूसरों के प्रति सहिष्णुता का भाव अमेरिकी संस्कृति का मूल भाव हो गया. जो हमारे साथ नहीं है वह दुश्मनों के साथ है यह अपने विरोध सहन न कर पाने की कमजोरी है.यह डरे की संस्कृति है .जो डरता है वही डराता है.
यह छुई-मुई संस्कृति है.हजारों परमाणु बम रखे होने बाद भी जो देश किसी दूसरे के यहां रखे बारूद से होने के डर से हमला करके उसे बरबाद कर दे.उससे अधिक छुई-मुई संस्कृति और क्या हो सकती है?
बहरहाल लेख तो बढ़िया लगा।