३१ जुलाई हिन्दी के उपन्यास सम्राट और कहानीकार प्रेमचंद का १२६ वां जन्मदिन है। उनके जन्मदिन पर मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि।
दसवी मे पढा था कि उनका असली नाम नवाबराय था। उनकी पहली रचना सोजे-वतन थी जिसमें देशभक्ति पूर्ण कहानियां थीं। छपते ही इसे अंग्रेजों ने जब्त कर लिया। तत्पश्चात वे प्रेमचंद के नाम से लिखने लगे।
प्रेमचंद मेरे प्रिय लेखक रहे हैं, उनके लगब्भग सभी उपन्यास और ढेरो कहानिया पढी है।प्रेमचंद को पढना तो बचपन से ही शुरू हो गया था। कक्षा दूसरी मे बालभारती मे उनकी कहानी पढी थी ‘ईदगाह′, और ये सफर शुरू हुआ था। हामिद का चिमटा आज भी भूल नही पायां हूं।
गूल्ली-डंडा, बडे भाई साहब जैसी कहानियां तो ऐसी लगती है जैसे मेरे ही बचपन से ली गयी हैं। ‘ठाकुर का कुंवा’, पूस की रात , सुभागी, बडे घर की बेटी जैसी कहानियाँ अपने आस पास ही घटते देखी है।
पंच परमेश्वर का रूप मैने अपने गांव की चौपाल पर होने वाली पंचायत मे देखा है। वहीं मैकु जैसे शराबी भी देखे है जिनके बच्चे भुखे सोते रहे लेकिन शराब चाहिये ही। उनकी कहानी का हर पात्र मुझे अपने आस पास ही दिखायी दिया है।
जीवन का ऐसा कौनसा अंग है जो उन्होने नही छुआ। ‘समस्या’ के चपरासी गरीब का परिवर्तन हो, या कोरी अफवाह से एक ‘बैंक का दिवाला’ निकलना।
उनके द्वारा लिखे गये हास्य रस के तो क्या कहने “ पंडित मोटेराम शास्त्री का डायरी”, “शादी की वजह″,”कुछ दूख ना हो तो बकरी खरीद ला” पढीये और हंसते हंसते लोट पोट हो जायीये।
=========================================================
4 टिप्पणीयां “हिन्दी कहानी एवं उपन्यास सम्राट प्रेमचन्द को जन्मदिन पर हार्दिक श्रद्धांजली” पर
प्रेमचंद जी को श्रद्धांजलि।
सोचता हूं १९३६ में ५६ वर्ष की अल्पायु में न गये होते और भारत की आजादी देखी होती उन्होने तो आजादी के बाद के भारत का वे कैसा वर्णन करते।
eshadow द्वारा दिनांक अगस्त 1st, 2006
ये बढ़िया किया कि आज के दिन मुंशी जी को याद कर लिया।
अनूप शुक्ला द्वारा दिनांक अगस्त 1st, 2006
गोदान पढी थी जब दसवीं में थे. कई कहानिया स्कूल में पठ्य पुस्तकों में पढी . बूढी काकी , पँच पर्मेश्वर ,हामिद आज भी बहुत करीब हैं
pratyaksha द्वारा दिनांक अगस्त 1st, 2006
प्रेमचंद्र के जन्म-दिन पर उनके बारे में लिखना उनके प्रति आदर है। साधुवाद। जब तक समाज में विसंगतियाँ रहेंगी तबतक प्रेमचंद्र समसामयिक रहेंगे। उनका यथार्थमय आदर्श हमेशा अधुनातन रहेगा।
प्रेमलता पांडे द्वारा दिनांक अगस्त 1st, 2006
0 टिप्पणियाँ