Looking For Anything Specific?

ads header

जिन्दगी

जिन्दगी

एक शाम
बैठा था एकान्त में
गुनगुना रहा था
वही पुराना एक तराना
मै और मेरी जिन्दगी .

अचानक मन मे उठा
एक सवाल
उससे जुङे फ़िर अनेकों सवाल
क्या इन्ही सवालो का
नाम है जिन्दगी ?
या इन सवालो का जवाब
है जिन्दगी ?

मैने देखा है
अपने खूबसूरत कल का एक सपना
क्या यही है जिन्दगी ?
या अपने ख्वाबो को पा लेना
है जिन्दगी ?

अपनी मंजिल की ओर हर कदम
है मेरी जिन्दगी
कोई पडाव नहीं
एक सफर है मेरी जिन्दगी.

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

अनूप शुक्ल ने कहा…
भइये, ये क्या हो रहा है कि प्रेमचंद वाली पोस्ट पर टिप्पणी चिपक ही नहीं रही है।बहुत बढ़िया लगा बहाने पढ़ना-शादी करने के।एक ये भी जोड़ दो-ब्लागर पीछे पड़े थे कि शादी करके विवाहित
जीवन के अनुभव लिखो सो विवाहगति को प्राप्त हो गया।