तूफान गुज़र गया है, छोड़ गया है अपने पीछे जलमग्न शहर, उजड़े मकान, पानी मे तैरती लाशे, भूखे प्यासे लोग !
तुफान गुजरे हुये आज पाँचवाँ दिन है| लेकिन आज भी हजारो लोगो के पास रहने के लिये छत नही है, पिने के लिये पानी नही है, खाने के लिये कुछ नही है| एक छत के निचे हजारों लोग रह रहे है, जहा ना मूलभूत सुविधाओं का अभाव है| एक बुढ़िया व्हील चेयर पर बैठे हुये ही मर गयी ,किसी को चिन्ता नही है| बस किसी ने उसके उपर एक कंबल डाल दिया|
भुखे बच्चे कुडे के ढेर मे खाना ढूंढ रहे है| हजारों लोग प्रशासन से सहायता ना मिलने पर पैदल ही चल कर खाने पिने की वस्तुए जमा कर रहे है|
बिमार लोगो के इलाज के लिये जगह नही है, लोगो को जमीन पर ही लिटा दिया गया है| खाने-पीने वस्तुओ के लिये लबीं लंबी कतार लगी हुई है| हज़ारों लोग अब भी भोजन-पानी का इंतज़ार कर रहे हैं|
शहर मे लुट मार मची हुई है| जिसके हाथ मे जो बन रहा है वो लेकर चल रहा है| हथियार बंद लोगो के दल ने लुट मचा दी है| अभी तक शहर में लूटमार करने वालों पर भी नियंत्रण नहीं पाया जा सका है|
ये चित्र है तीसरी दुनिया के किसी पिछड़े देश का नही है, ये चित्र है दुनिया के सबसे शक्तिशाली और समृद्ध देश अमरीका का !
कैटरीना के कारण सबसे ज़्यादा प्रभावित न्यू ऑर्लियंस में अभी भी हज़ारों की संख्या में लोग शहर के निकाले जाने की बाट जोह रहे हैं|
शहर के फ़ुटबॉल स्टेडियम सुपरडोम के बाहर बड़ी संख्या में लोग मौजूद हैं और उनकी हालत बदतर है|
लोगों का कहना है कि समुद्री तूफ़ान कैटरीना के कारण तबाही बड़े पैमाने पर हुई है लेकिन राहत कार्य उस गति से नहीं हो रही|
सबसे ज़्यादा ग़ुस्सा उन लोगों में है तो तबाही के कारण दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं| लेकिन फ़ेडेरल इमरजेंसी मैनेजमेंट एसोसिएशन ने लोगों से संयम की अपील की है|
एसोसिएशन का कहना है कि उनके पास सहायता सामग्री की कमी नहीं| लेकिन तबाही इतने बड़े पैमाने पर हुई है कि इसे प्रभावित लोगों तक पहुँचने में समय लगेगा|
कैटरीना तुफान से उठे कुछ प्रश्न
१. जब ये मालुम था कि तूफान का स्तर ५ है जो की सबसे खतरनाक है, पहले से व्यापक तैयारी क्यो नही की गयी ?
२. तूफान के तिसरे दिन जब लुट मार की शुरूवात हुइ तब कुल जमा १५०० सुरक्षाकर्मी थे. जिन्हे ये समझ नही आ रहा था कि लोगो बचाये या कानुन व्यवस्था बनाये रखे ?
३. सेना को तुरंत राहत कार्यो पर क्यों नही लगाया गया ?
४. स्वयंसेवको का अभाव क्यो है ?
५. संवेदनशीलता का अभाव भी देखने मे आ रहा है. अन्य भागो से तूफान प्रभावित लोगो को उनके दोस्तो ने इमेल भेजा कि वे उनके घर पर रहने आ सकते है ! जहां बिजली नही, संचार माध्यम नही वहा ईमेल भेजा गया !
5 टिप्पणियाँ
है तो विकसित तथा विकासशील देश के निपटने में कोई अन्तर नहीं रह जाता.
hum to dusri katerina ka kahar samjh baithe the....
लेकिन हम कह सकते हैं देश कोई भी हो, अचानक आई आपदा के लिए तैयार कोई नहीं है।
पहली बार आपके ब्लाग पर आया हूं अच्छा लगा।