हाल ही मे मै स्टीफन हाकिंस की “ए ब्रीफ हिस्ट्री आफ टाइम” पढ रहा था। ये पुस्तक मै इसके पहले भी कई बार पढ चुका हूं, लेकिन कुछ दिनो बाद फिर से पढने की इच्छा हो जाती है। मुझे ऐसे भी भौतिकी बचपन से पसंद रहा है, जैसे जैसे आगे पढता गया , इस विषय मे रूची बढती गयी। लेकिन इस पर अढंगा तब लगा जब मैने संगणक विज्ञान लेकर अभियांत्रिकी मे प्रवेश लिया।
वैसे संगणक विज्ञान के पाठयक्रम मे भी भौतिकी के काफी सारे विषय थे, जैसे प्रकाश विज्ञान(ओप्टीकस),क्वांटम मेकेनिक्स, विद्युत और चुंबकिय क्षेत्र…
आज सुबह देर से उठा, ७:३० के करीब। अपने कमरे से बाहर आया, देखा हमेशा सुबह रोनी सूरत बनाये रखने वाला अन्ना गुनगुना रहा था और मेरा डिब्बा(CD Player) बज रहा था। मै चकराया ये क्या हो रहा है। सुबह सुबह गाने तो मै सूनता हुं, ये आज डिब्बा किसने शुरू कर दिया ?
मेरे कमरे की दिनचर्या कुछ ऐसी है, सबसे पहले मै उठ जाता हुं, नहा धो कर तैयार होने के बाद डिब्बा चालु करता हुं। आवाज इतनी तेज होती है कि नन्दी और अन्ना दोनो भुनभुनाते हुये उठ जाते हैं। किसी दिन मै देर से जागा तो बाकि दोनो भी देर…
वह अपने अपार्टमेंट की बालकनी मे अकेले खडा़ तारों को घूर रहा था। संजय पीछे कब आया उसे पता ही नही चला।
संजय : "यहाँ अकेले क्या कर रहा है, तू ठीक तो है ना ?"
वह : "सितारों मे अपनी महबूबा ढूंढ रहा हूं! कोई पसंद ही नही आ रही!"
"बातें मत बना, दो दिन से तू उखड़ा - उखड़ा है, सब दिखता है , तू कितने भी ठहाके लगा ले, तेरी आंखे चुगली कर देती है कि तू परेशान है। क्या हुआ बे?"
"अबे रूम मे इतने सारे दुःखी आत्मा पहले से है, देवदास, पंडित और कमलेश पहले से इश्क क…
फोन न १
“एक समस्या है यार”
“पता चल गयी !”
“कैसे”
“तेरे फोन से ही।”
“सुन”
“सुना”
“तेरे आसपास कोइ है तो नही ?”
“तुझे कोइ आसपास चाहिये क्या ?”
“नही”
‘’तब नही है, बोल″
“यार पर्सनल समस्या है, किसी को बताना मत”
“नही बताता यार,सभी को यही समस्या है। काम की बात कर”
“मै टूर से आया हूं और भूखा हूं।”
“तो किसी होटल फोन करना ! ”
“नही यार, ये बोल रही है ।।”
“ये यानी कौन।”
“बीबी, और कौन”
“किसकी ?”
“मेरी और किसकी बीबी मेरे से बात करेगी।”
“ठीक है , काम की बात बोल″
“ये लो, विषय मै बदल रहा हू क…
प्रत्याक्षाजी ने हमारे पुराने जख्म हरे कर दिये। हमने अपनी आधी अधूरी ही सही; दास्तान ए इश्क सुना दी।
बहरहाल हमारी इस कहानी पर काफी सारी टिप्पणियां मिली। आगे लिखने का अनुरोध किया गया।
कल का सारा दिन पूरानी हसीन यादो मे डूबा रहा। कहते है जब हमे हिचकी आती है तो उसका मतलब होता है कि कोई आपको याद कर रहा है। तब तो शायद उसे सारा दिन बिना रूके हिचकी आती रही होगी।
शाम को घर गये। खाना बनाना शुरू किया। रोटियाँ सेकीं। और सब्जी बनाने की तैयारीया शुरू की।
जब मै किसी की याद मे खाना बनाता हु…
प्रस्तावना
प्रत्यक्षा जी ने हमे प्रेम विषय का पंडित समझ लपेट दिया और इस पर कह दिया कि “आदर्श प्रेमिका के गुण” बतायें। शायद उन्होने कबीर की तरह सोचा होगा “ढाई आखर प्रेम का पढे सो पंडित होय”।
हम तो इस प्रेम की जालिम , बेरहम दुनिया मे इतनी ठोकर खा चुके है कि हमारे दिल नुमा प्रेम ग्रंथ के हर पन्ने से सिर्फ आह ही आती है। दिल के इतने टुकड़े हो चुके है जितने जनता दल के भी नही हुये होंगे। फिर भी हमने हिम्मत नही हारी है और लगे हुये हैं।
हसीं हजारो भी हो खडे, मगर उसी पर नजर पड़े
हो जुल्…
सोशल मिडीया पर