कल रात मैने एक सपना देखा। वैसे कुछ नया नही था, हमेशा की तरह हम एक कन्या से बतिया रहे थे। वैसे हमारे अनुसार कन्यायें दो प्रकार की होती है, कुछ कन्यायें खूबसूरत होती हैं कुछ ज्यादा खूबसूरत होती हैं। सपने मे देखी कन्या दुसरी श्रेणी(ज्यादा खूबसूरत) की थी।
वैसे हमे आज तक अपने सपनों का मतलब समझ मे नही आया, हमेशा अजीबो-गरीब, उल जलूल किस्म के सपने आते हैं, जिसका ना तो सर होता है ना पैर। सायमंड फ्रायड को भी पढ़कर देख लिया, सपनो का मतलब समझना तो दूर रहा, पूरा का पूरा कन्फुजिया गया। त…
यह किस्सा उस समय का है जब मैं अभियांत्रिकी के अंतिम वर्ष(1998) मे था। उन दिनो हम एक छोटे से गांव झालीया मे रहते थे। दिखावे की दुनिया से कोसों दूर विदर्भ (महाराष्ट्र), छत्तीसगड़ और मध्यप्रदेश की सीमा पर बसा एक आम भारतीय गांव "झालीया"। सीधे सादे किसानों का गांव, जिनमे से कुछ ही लोग शहरी सभ्यता और रीती-रिवाज़ों से परिचित थे। और जो लोग कुछ पढ लिख गये थे, वो गांव से पलायन कर शहरों मे बस गये थे।
गांव का जीवन आम बुराइयो से दूर था, कभी लड़ाई झगड़ा, दंगा फसाद, चोरी-चकारी ज…
मै अपने आपको मुम्बई और न्यु आरलेन्स से तुलना करने से रोक नही पाया
१. कुल बारिश
मुम्बई मे (२७ जुलाई) ३७.१ इंच
न्यु आरलेन्स - १८ इंच
२.जनसंख्या
मुम्बई .... १२,६२२,५००
न्यु आरलेन्स .... ४८४,६७४
३.कुल मौत (४८ घन्टो मे)
मुम्बई .....३७
न्यु आरलेन्स ..... १००(?)
४.सुरक्षित बाहर निकाले गये लोग
मुम्बई .....१०,०००
न्यु आरलेन्स ..... उफ ?
५. हिन्सा और गोलीबारी को घटनायें
मुम्बई ..... ०(शुन्य)
न्यु आरलेन्स ..... गिनती नही
६. सेना को घटना स्थल पर पहुंचने मे लगा समय
मुम्बई ..... १२ …
तूफान गुज़र गया है, छोड़ गया है अपने पीछे जलमग्न शहर, उजड़े मकान, पानी मे तैरती लाशे, भूखे प्यासे लोग !
तुफान गुजरे हुये आज पाँचवाँ दिन है| लेकिन आज भी हजारो लोगो के पास रहने के लिये छत नही है, पिने के लिये पानी नही है, खाने के लिये कुछ नही है| एक छत के निचे हजारों लोग रह रहे है, जहा ना मूलभूत सुविधाओं का अभाव है| एक बुढ़िया व्हील चेयर पर बैठे हुये ही मर गयी ,किसी को चिन्ता नही है| बस किसी ने उसके उपर एक कंबल डाल दिया|
भुखे बच्चे कुडे के ढेर मे खाना ढूंढ रहे है| हजारों लोग …
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